• आगरा के बाराखंबा में अंबेडकर भवन को अतिक्रमण बताने पर मायावती ने उठाए सवाल, सांसद चंद्रशेखर ने लिखा पत्र

    बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने आगरा में बाराखंबा रेलवे फाटक 'अंबेडकर भवन' को अतिक्रमण बताकर उसे हटाने की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। वहीं, इस मामले को लेकर नगीना के सांसद चंद्रशेखर ने रेलवे मंत्री को पत्र लिखा है

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    लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने आगरा में बाराखंबा रेलवे फाटक 'अंबेडकर भवन' को अतिक्रमण बताकर उसे हटाने की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। वहीं, इस मामले को लेकर नगीना के सांसद चंद्रशेखर ने रेलवे मंत्री को पत्र लिखा है।

    बसपा मुखिया मायावती ने रविवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि यूपी के आगरा में बाराखंबा रेलवे फाटक के पास दशकों से समाज हित व जनकल्याण आदि गतिविधियों से जुड़े 'अंबेडकर भवन' को अतिक्रमण बताकर उसे हटाने की कार्रवाई से लोगों में काफी रोष व आक्रोश व्याप्त है और लोगों का यह भी कहना है कि क्या यही है सरकार का अंबेडकर प्रेम?

    उन्होंने आगे लिखा कि ऐसे में केंद्र सरकार से अनुरोध है कि आगरा के साथ-साथ ऐसी और भी बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर-विरोधी कार्रवाईयों का तत्काल संज्ञान ले और जरूर उचित कार्रवाई भी करे। उम्मीद है कि सरकार जरूर सकारात्मक कदम उठाएगी।

    उधर, इस मामले में नगीना के सांसद चंद्रशेखर ने भी केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा कि रेलवे प्रशासन, उत्तर मध्य रेलवे, आगरा के कार्यालय, सीनियर सेक्शन इंजीनियर (कार्य), ईदगाह द्वारा पत्रांक: C1/3, दिनांक: 11.03.2025 के माध्यम से अंबेडकर भवन (निकट फाटक संख्या 75ए, बाराखंबा) को अतिक्रमण घोषित कर 15 दिनों के भीतर हटाने का नोटिस जारी किया गया है।

    यह भवन वर्षों से सामाजिक न्याय, शैक्षिक व सांस्कृतिक गतिविधियों, तथा बहुजन समाज के हितों के संरक्षण के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। ऐसे में इसे अतिक्रमण घोषित कर हटाने की कार्रवाई करना न केवल अनुचित है, बल्कि समाज के वंचित वर्गों के प्रति अन्याय भी है।

    उन्होंने आगे लिखा कि यह भवन उस स्थान पर स्थित है, जहां मौजूद गड्ढों को भरकर आधी शताब्दी पूर्व इसे जनहित के लिए खड़ा किया गया था। यह केवल एक संरचना नहीं, बल्कि बहुजन समाज की सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना और उत्थान का केंद्र है। अतः इसे अतिक्रमण घोषित कर हटाने का कोई भी प्रयास न केवल ऐतिहासिक अन्याय होगा, बल्कि समाज के पिछड़े और दलित वर्गों के प्रति उपेक्षा को भी दर्शाएगा। यह भवन समाज के हित में सार्वजनिक उपयोग के लिए खड़ा किया गया है।

    उन्होंने लिखा कि हम रेलवे प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि इस मामले को सहानुभूतिपूर्वक देखा जाए और किसी भी निर्णय से पहले इस भवन के सामाजिक महत्व को ध्यान में रखें। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि रेलवे द्वारा जारी पत्रांक: सी1/3, दिनांक: 11.03.2025 के 15 दिन के भीतर हटाने के नोटिस को तत्काल निरस्त किया जाए। यदि यह भवन रेलवे की अधिसूचित भूमि पर आता हो, तो इसे नियमित करने हेतु आवश्यक कदम उठाए जाएं।

    इस सामाजिक महत्व के भवन को सरकारी संरक्षण प्रदान किया जाए, ताकि इसके माध्यम से सामाजिक उत्थान की गतिविधियां निर्बाध रूप से जारी रह सकें। यह भवन हजारों लोगों की आस्था, उनके अधिकारों और सामाजिक-सांस्कृतिक उत्थान का प्रतीक है। इसे हटाने से बहुजन समाज और वंचित समुदायों के बीच रोष उत्पन्न होगा तथा सरकार की समावेशी नीतियों पर प्रश्नचिह्न खड़ा होगा। अतः आपसे आग्रह है कि इस विषय में शीघ्र अविलंब हस्तक्षेप कर न्यायसंगत समाधान सुनिश्चित करें।

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